संतमत शान्ति दाता है!
संतमत शान्तिदाता है। 'शान्ति' हृदय की चीज है, बाहरी चीज नहीं।
बाहरी चीजों में अपने शरीर और संसार सबमें बदली होती है। अदल-बदल में शान्ति नहीं होती है।
हृदय को मन को शान्त करो। इसके लिए एकाग्रचित होओ।
पूर्णतः एकाग्रचित होने पर पूरी शान्ति मिलती है, जो शान्ति परमात्मा को है।
जो इसको पाता है, वह ईश्वरमय हो जाता है। आवागमन छूट जाता है।
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