अब समझिए कि उस एक करोड़ के घोड़े की सेवा करने वाला भी मनुष्य ही होगा। कितने लोग भीख मांगते-फिरते हैं-- बाबू! एक पैसा दे दो। फिर नरतन में सुर-दुर्लभता की क्या बात रही? वास्तविक बात तो यह है कि एक करोड़ रुपए का घोड़ा हो या पचहत्तर हजार का कुत्ता, भगवद्-भजन करके भवसागर से छूट नहीं सकता, किंतु भीख मांगने वाला ही क्यों न हो, यदि उसे क्रिया बतला दी जाए, तो साधना करके वह त्रय तापों से, भवसागर के आवागमन से छूट सकता है।
नरतन में सुर दुर्लभता की क्या बात रही | भाग-2
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