भगवान श्रीकृष्ण का महावाक्य है-
नासतो विद्यतेभावो नभावो विधते सतः।
असत्य का अस्तित्व नहीं और सत्य का अभाव नहीं।
यह जीवात्मा सत्य है और वह परमात्मा सत्य है।
इस आत्मा को उस परमात्मा के साथ जोड़ देना, सत् को सत् के साथ मिला देना सत्संग है; किंतु यह बहुत ऊँची बात है।
जिस दिन ऐसा सत्संग हो जाएगा, हमारा अहोभाग्य हो जाएगा।
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