दीपक लै कुएँ पड़े |
मन ही बंधन में डालता है और मन ही मुक्ति दिलाता है।
मन जानता है कि बुरे कर्म का फल बुरा मिलेगा, फिर भी कर लेता है और पीछे पश्चाताप करता है।
जो अनजाने में कोई गलती कर बैठता है, तो उसकी बात कुछ और है, पर जो जानकर गलतियाँ करता है, उसका फल तो उसे भोगना ही पड़ेगा।
भगवान बुद्ध ने कहा है- 'पाप करते समय लोगों को वह शहद की तरह मीठा लगता है, पर जब उसका फल मिलता है, तो व्यक्ति आग में जलने की तरह छटपटाता है।'
No comments:
Post a Comment