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आशा से मत डोल रे | झूठ मुठ खेले सचमुच होय | आध्यात्मिक सत्संग ज्ञान |


हमारे गुरुदेव कहा करते थे-

"झूठ मुठ खेले सचमुच होय।
सचमुच खेलै बिरला कोय।।
जो कोई खेलै मन चित लाय।
होयते होयते होइये जाय।।" 

बंगाल के संत श्री रामकृष्ण परमहंस देव जी महाराज ने कहा है कि धर्म के राज्य में सबको पुस्तैनी किसान बनकर रहना चाहिए। जो पुस्तैनी किसान है, वह बारह बरस तक फसल नष्ट होने पर भी खेती का काम नहीं छोड़ता, लेकिन जो वंश-परम्परा से किसान नहीं है, मुनाफे के लोभ में पड़कर खेती करता है, वह एक साल फसल नुकसान होते ही खेती का काम छोड़ बैठता है। सच्चे श्रद्धालु भक्त इस श्रेणी के नहीं होते; वे जीवनभर भगवान के दर्शन नहीं होने पर भी साधन करना नहीं छोड़ते। अर्थात वे जीवनपर्यन्त साधना करते रहते हैं। 

संत कबीर साहब साधक के हृदय में सत्साहस का संचार करते हैं और ढाढस देते हुए कहते हैं--
'आशा से मत डोल रे तोको पीव मिलेंगे।'

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