साधन जानना और करना नहीं, पुण्य तो हुआ; लेकिन पूरा नहीं |
आपलोगों को जो दीक्षा मिली है, उसे सत्य समझिए।
केवल सत्य समझ कर संतुष्ट नहीं हो जाइए, उसे काम में लाइए।
यानी साधन-भजन कीजिए। साधन जानना और करना नहीं, पुण्य तो हुआ; लेकिन पूरा नहीं।
आप सभी का 'Shivendra Kumar Mehta' ब्लॉग बेवसाइट पर स्वागत है। कबीर साहब का वचन है- "सुकिरत करि ले नाम सुमिरि ले को जानै कल की। जगत में खबर नहीं पल की।।" इसलिए 'शुभस्य शीध्रम' किजिए। जीवन में सुख-दुःख लगा ही रहता है, इसे प्रभु का प्रसाद मानें। अपना काम (जीविकोपार्जन कार्य), ईश्वर भक्ति और शुभ कर्म करते रहें। यहाँ पर आप जो कुछ भी पढेंगे और सुनेंगे उसे दूसरों के साथ शेयर किजिए। जय गुरु महाराज।🙏 E-mail: maharshimehisewatrust@gmail.com
"बहुत समय पड़ा है, यही वहम सबसे बड़ा है।" यह ईश्वर भक्ति के लिए है। क्योंकि आत्मा का जीवन अनन्त है। इस शरीर की आयु कु...
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